Monday 30 April 2012

मैं भी जड़ बनूगा॥

थकती नहीं
पेड़ की जड़ें
पानी की खोज में
छू ही लेती है
भूमिगत जलस्तर ॥
मरने नहीं देती
अपनी जिजीविषा ॥


बखूबी जानती है वह
हर पत्ते को
हरियाली ही देना है
उसका काम ॥

अब .....
नहीं थकूगा
मैं भी जड़ बनूगा॥

Sunday 29 April 2012

माइक्रो चिप्स

उस सूखे हुए गुलाब की फूल में
जो तुमने दी थी मुझे /वर्षों पहले 
जिसे रख दी थी मैंने 
किताब के पन्नो के बीच
आज भी वही सुगंध है 
ठीक वैसा ही 
जैसा मैं महसूसता था तेरी साँसों में  //

सच कहूँ तो 
उस पंखुड़ियों में छिपी हैं 
तुम्हारे साथ गुजारे गए अनेकों दृश्य 
ठीक वैसे ही 
जैसे एक छोटे से माइक्रो चिप में 
छिपी होती हैं अनेकों फ़िल्में // 

Sunday 22 April 2012

मैं राम को वनवास नहीं भेजना चाहता


नहीं नहीं ....
मैं दशरथ नहीं
जो कैकेयी से किये हर वादे
निभाता चलूँगा //

मैं .....
खोखले वादे करता हूँ तुमसे
मुझे
अपने राम को वनवास नहीं भेजना //

क्या हुआ
जो टूट गए
मेरे वादे
अपने दिल को
मोम नहीं
पत्थर बनाओ प्रिय //

Thursday 19 April 2012

बबन पाण्डेय की गंभीर कविताएं: पेड़ और लड़की

बबन पाण्डेय की गंभीर कविताएं: पेड़ और लड़की: जैसे-जैसे बड़ा होता है पेड़ टिकने लगती हैं निगाहें मानों ...... जवान हो रही हो एक लड़की // कोई फलों को तोड़ कर मिटाता है अपनी भूख कोई करता है...

Wednesday 18 April 2012

पेड़ और लड़की

जैसे-जैसे
बड़ा होता है पेड़
टिकने लगती हैं निगाहें
मानों ......
जवान हो रही हो एक लड़की //

कोई फलों को तोड़ कर
मिटाता है अपनी भूख
कोई करता है इंतज़ार
तनाओं के मांसल होने का //

ठीक वैसे ही
ताक में रहता है आदमी
किसी लड़की को देखकर
फिर एक दिन
काट देता है आदमी
"पेड़ और लड़की " दोनों को //