अपने यौवन की नौका को देख
मैं मंद-मंद मुस्काता हूँ
नहीं डूबेगी कभी यह नौका
यह सोच-सोच इठलाता हूँ //
काम-क्रोध और लोभ-मोह की
लहरें उठ रही यौवन में
ये सब दुर्गुण कहाँ थे मुझे में
अठखेली भरती बचपन में //
बचपन की नौका ,कब डूब गई
कोई कुछ समझ न पाया
यौवन की नौका भी डूबेगी
तब शायद मर जाए माया //