Tuesday, 15 May 2012

सुविधाभोगी

(प्रस्तुत कविता हिंदी के विद्वान कवि प० राम दरश मिश्र द्वारा सम्पादित पत्रिका ' नवान्न ' के द्वितीय अंक में प्रकाशित है, मेरी इस कविता को उन्होनें गंभीर कविता का रूप दिया था )

न तो ---
मेरे पास
तुम्हारे पास
उसके पास
एक बोरसी है
न उपले है
न मिटटी का तेल
और न दियासलाई
ताकि आग लगाकर हुक्का भर सकें ॥
और न कोई हुक्का भरने की कोशिश में है ।

सब इंतज़ार में है
कोई आएगा ?
और हुक्का भर कर देगा ।
आज !
हर कोई
पीना चाह रहा है
जला जलाया हुक्का ॥

6 comments:

  1. बहुत ही कम शब्दों में .... कामचोर लोगो के बारे में आपने बता दिया ... बहुत ही अच्छा उदाहरण देकर

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति... बहुत बहुत बधाई...

    ReplyDelete
  3. हर कोई चाह रहा है जला जलाया हुक्का ।

    ReplyDelete
  4. saral bhaav man ko choone wali rachna

    ReplyDelete
  5. बहुत ही सुन्दर बयान ....कटु सत्य है कि आज हर कोइ पीना चाहता है जला जलाया हुक्का
    धन्यवाद सर

    ReplyDelete