अति सुन्दर तुलना छाते और गोवर्धन पर्वत की बबन भाई.....बिलकुल ही अलग तरह की......बहुत अच्छा........ध्येय एक ही सभी को विपत्ति से बचना.....कोई भेदभाव नहीं......
सहयोग का आवाहन करता छाता और उसका रूपक ,छाता तो बाप का होता है निस्स्वार्थ प्रेम का ,अन्यत्र भी मिले तो क्या बात है . माखन चोर ने भी बनाया था छाता गोवर्धन पर्वत का अपने सखाओ को बचाने के लिए ॥बब्बन भाई "सखाओं "कर .लें .
kash ham ban pate ek dusre chhata:)
ReplyDeleteBabban Ji ,humesha ki tarah lajawab.
ReplyDeleteGazab likhte hain maharaj.Aise hi likhte rahe..
Bijay Pathak
ATYANT HI SRIJANSHEEL HAI AAPKI PAINI NIGAHE ... KEEP IT UP ...PANDEY JEE ...BAHUT BAHUT ..DHANYVAD
ReplyDeleteछाता से हमारा है गहरा नाता
ReplyDeleteबुरी निगाहों से हमें बचाता
सुरक्स्चित घर पहुचाता
डंडे के भी काम आता I
ये कविता बिम्बपरक है !बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteइस कबिता में चार तत्व का समिश्रण है भाव, बुद्धि, शैली और कल्पना !
ReplyDeleteवाह ... अनुपम प्रस्तुति।
ReplyDeleteएक सार्थक कमेन्ट के लिए मीन प्रसाद पाण्डेय जी का आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,,,आसान,,शब्दों में गंभीर बाते कहना आप की विशेषता है,,,आभार पाण्डेय जी
ReplyDeleteअति सुन्दर तुलना छाते और गोवर्धन पर्वत की बबन भाई.....बिलकुल ही अलग तरह की......बहुत अच्छा........ध्येय एक ही सभी को विपत्ति से बचना.....कोई भेदभाव नहीं......
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,,,आसान,,शब्दों में गंभीर बाते कहना आप की विशेषता है,,,आभार पाण्डेय जी
ReplyDeleteबहुत खूब|||
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना....
यह छाता तो सभी को चाहिये.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
Bahut khoob.....is Chhate ki bahut demand hai........
ReplyDeletebehd jaruri hai
ReplyDeleteसुंदर...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ख़्याल की कविता बबन जी ..
ReplyDeleteBahot aache - like it - best wishes
ReplyDeleteबढ़िया लिखते हैं ...
ReplyDeleteएक हमें भी चाहिए ...
ReplyDeleteआभार !
सहयोग का आवाहन करता छाता और उसका रूपक ,छाता तो बाप का होता है निस्स्वार्थ प्रेम का ,अन्यत्र भी मिले तो क्या बात है .
ReplyDeleteमाखन चोर ने भी
बनाया था छाता
गोवर्धन पर्वत का
अपने सखाओ को
बचाने के लिए ॥बब्बन भाई "सखाओं "कर .लें .
जी शर्मा जी
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