ये कौन है
जो हर बात पर हल्ला करता है
हर बात पर चीखता-चिल्लाता है
सरकार के हर फैसले पर
क्या चुप रहना उसकी नियति में नहीं ?
खोजी कुत्तो की तरह
गंध सूँघता फिरता है
पर जब बात उसके मतलब की न हो
पला झाड़ लेता है //
जब वह फंसता हैं
बड़ी आसानी कह देता है
राजनीति कोयला है
विपक्ष का काम
कीचड़ फेकना ही तो हैं
कुत्ते को हड्डी तो चाहिए ही !
ReplyDeleteनहीं मिलने पर भौकेंगा !
सटीक !
शुक्रिया अस्थाना भाई ...
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ReplyDeleteअपनी शेव बनाके साबुन दूसरे के मुंह पे फैंकना इस दौर का मिजाज़ है .जब नंगा कपडे उतार देता है फिर उसे कुछ चिंता नहीं रहती जो बिगड़ना था बिगड़ गया ,अब कोई और क्या बिगाड़ सकता है .इसीलिए कहा गया नंग बड़े परमेश्वर से .नक कटे से और नंगे से खुदा भी डरता है वह भी अब तो यही कहता है इस नंगी सरकार का क्या करें .विपक्ष भी यही कह रहा है .कर भी यही रहा है .और ये ममता और मुलायम ये सब लोगों को उलझाए हुए नूरा कुश्ती खेल रहें हैं दोगले लोग हैं ये .कोई दीन ईमान नहीं इनका .किसके साथ हैं किसके नहीं सब गोल माल है .लेकिन एक बात तय है बहुत जल्दी परिवर्तन होगा .
अच्छी रचना है आपकी .वैसे भी अब बहस का तो अंत हो रहा है और जहां बहस का अंत होता है वहीँ से होती है फतवों की शुरुआत जैसा इस्लाम में आये दिन होता है .वहां कुरआन और मोहम्मद साहब पर आप कोई सवाल नहीं उठा सकते कोई बहस नहीं कर सकते .सब कुछ अंतिम हैं वहां .ईसाइअत को फिर चिढा रहें हैं ये ,अफगानिस्तान में अमरीकी विमान गिराकर .फिर पीटेंगे और इस बार ज्यादा भूंडा पिटेंगें.भारत को भी इस बाबत जल्दी फैसला करना होगा .
कानों में होने वाले रोग संक्रमण का समाधान भी है काइरोप्रेक्टिक में
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उत्कृष्ट रचना
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
1. अपने ब्लॉग पर फोटो स्लाइडर लगायें
अच्छी कविता है
ReplyDeleteअति उत्तम...
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअच्छी रचना..
सादर
अनु
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (22-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सुंदर रचना |
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट:-
मेरा काव्य-पिटारा:पढ़ना था मुझे
विपक्ष की भूमिका को समझने का सुंदर प्रयास.
ReplyDeleteबधाई.
बबन जी कीचड़ में कमल खिलता है और कोई उसको पूछे नहीं तो उसी में समाहित होजात है ....ये भी एक नियम है ओर उसी को फोलो करते हम !!!!!Nirmal Paneri
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भैया दुसरे पर दोषारोपण कर ही तो अब तक बचते रहे है और आगे भी शायद बचते रहेगे ......
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