Sunday, 22 April 2012

मैं राम को वनवास नहीं भेजना चाहता


नहीं नहीं ....
मैं दशरथ नहीं
जो कैकेयी से किये हर वादे
निभाता चलूँगा //

मैं .....
खोखले वादे करता हूँ तुमसे
मुझे
अपने राम को वनवास नहीं भेजना //

क्या हुआ
जो टूट गए
मेरे वादे
अपने दिल को
मोम नहीं
पत्थर बनाओ प्रिय //

5 comments:

  1. Replies
    1. बहुत उम्दा अभिव्यक्ति बबन भाईसाहब........

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  2. शुक्रिया शास्त्री जी और रोली भाभी जी

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  3. Ram . . Ki trh . . Jb sath nibhane ki kasm khai . . Phir kyo sita chhod di. . . . ?

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  4. जब आप दशरथ नही तो राम आपके पास कैसे आयेंगे ..? विष्णु ने धरती पर अवतार से पहले दशरथ को ही चुना था ...खोखले वादों से अच्छा कोई वादा न किया जाये अच्छे राजा सिर्फ राज्य का हित सोचते हैं ...मैं भी नही बन सकता राम कि जनता और राज्य छोड़ कर चला जाऊ वनवास ....फिर कालान्तर में न करूँ संदेह सीता पर किसी के कहने पर .........

    इस रचना और नए ब्लॉग के लिए बधाई बबन भईया....

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